अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने नए सितारों अध्ययन के दौरान मैग्मा ओशन प्लॉनेट (magma ocean planets) के बारे में पता लगाया है जिससे अंतरिक्ष में नए सितारों और ग्रहों के बनने की गुत्थी सुलझ सकती है। वैज्ञानिकों ने यह भी दावा किया है कि stellar nurseries जहां गैस और धूलकणों के मिलने से नए तारों का निर्माण होता है वहां सूर्य से बड़े और तारे भी मौजूद हैं।
Edited By Priyesh Mishra | नवभारतटाइम्स.कॉम | Updated:
- अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने नए सितारों अध्ययन के दौरान मैग्मा ओशन प्लॉनेट के बारे में पता लगाया
- चट्टानों और छोटे ग्रहों की क्रमिक टक्कर से बनते हैं मैग्मा ओशन प्लॉनेट, अत्याधिक गर्मी करते हैं उत्सर्जित
- सुलझ सकती है तारों और ग्रहों ने निर्माण की गुत्थी, शेफ़ील्ड स्टडी ग्रुप के वैज्ञानिक कर रहे हैं शोध
लंदन
अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने नए सितारों अध्ययन के दौरान मैग्मा ओशन प्लॉनेट के बारे में पता लगाया है जिससे अंतरिक्ष में नए सितारों और ग्रहों के बनने की गुत्थी सुलझ सकती है। इतना ही नहीं, वैज्ञानिकों ने यह भी दावा किया है कि stellar nurseries जहां गैस और धूलकणों के मिलने से नए तारों का निर्माण होता है वहां सूर्य से बड़े और तारे भी मौजूद हैं।
शेफ़ील्ड स्टडी ग्रुप के वैज्ञानिकों ने की रिसर्च
शेफ़ील्ड स्टडी ग्रुप के वैज्ञानिकों ने ब्रह्माण्ड में तारा बनाने वाले क्षेत्रों की विशिष्टता का अध्ययन करने के लिए मिल्की वे में बने नए सितारों के बारे में जांच-पड़ताल की। इस दौरान उन्होंने पाया कि मैग्मा ओशन प्लॉनेट में से एक ग्रह बेबी अर्थ के समान है। इस शोध से अंतरिक्ष में तारे और ग्रह बनने की प्रक्रिया को समझने में मदद मिल सकती है।
कैसे बनते हैं मैग्मा ओशन प्लॉनेट
शेफ़ील्ड विश्वविद्यालय के खगोलविद रिचर्ड पार्कर ने कहा कि मैग्मा ओशन प्लॉनेट चट्टानों और छोटे ग्रहों की क्रमिक टक्कर से बनते हैं। जिसके प्रभाव से उनकी सतह इतनी गर्म हो जाती है कि वह पिघली हुई चट्टान बन जाती है, जिससे उन्हें खोजने में मदद मिलती है। उन्होंने कहा कि ये मैग्मा ओशन प्लॉनेट सूर्य जैसे अन्य तारों का पता लगाने में भी काम आ सकती हैं।
गर्मी उत्सर्जित करते हैं मैग्मा ओशन प्लॉनेट
उन्होंने यह भी कहा कि ये ग्रह इतनी गर्मी उत्सर्जित करते हैं कि हम नेक्स्ट जेनरेशन की इन्फ्रा-रेड टेलिस्कोप का उपयोग करके उनसे चमक देख पाएंगे। जिन स्थानों पर हमें ये ग्रह मिले रहे हैं उन तारों की उम्र 100 मिलियन वर्ष से कम है। ऐसे तारों को युवा श्रेणी में रखा जाता है।
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